टोपी लफ्ज़ अरबिक ज़बान में नही है
टोपी लफ्ज़ अरबिक ज़बान में नही है
क्योंकि अरबिक ज़बान में "ट" ٹ "प "پ नही होता है (क़ुरान में आपको ट" ٹ "प "پ" नही मिलेगा )
पगड़ी बांध कर रसूलुल्लाह ﷺ नमाज़ पढ़ते थे ऐसी कोई भी सही रवायत किसी भी हदीस से साबित नही है.
इससे हमें ये पता चलता में टोपी नही थी क्योंकि अगर होती यो उससे मुताल्लिक़ कोई अल्फ़ाज़ तो मिलता?
उलमाए कराम ने टोपी के पहनने को मुस्तहब कहा है मतलब ये ना तो फ़र्ज़ है और न ही सुन्नत (Sunnat)
📚(Majmoo’ Fataawa al-Shaykh Ibn Baaz, 10/405, 406.)
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