ज़ोर से कहना "रिब्बन वा लकल हम्द हमदान कठीण तैय्यबन मुबारकां फ़िहि
ज़ोर से कहना "रिब्बन वा लकल हम्द हमदान कठीण तैय्यबन मुबारकां फ़िहि
एक सहाबी (R) ने पीछे से कहा (रिब्बन वा लकल हम्द हमदान कठीण तैय्यबन मुबारकां फ़िहि) तो रसूलुल्लाह ﷺ ने पूछा कि किसने कहा तो सहाबी R ने कहा कि मैं ने कहा तो रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया मैं ने देखा 30 फरिश्ते इसको लिखने के लिए आगे आये
*कुछ लोग ये कहते हम की इसमे ज़ूर का लफ्ज़ कहा है ? सहाबी (R) ने जब कहा पीछे से तो ज़ूर से ही कहा होगा तभी तो रसूलुल्लाह ﷺ ने सुना और फिर नमाज़ बाद पूछा*
📚(Sahih Bukhari :- # 799)
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