*सजदा सहू करने का सही तरीका*
*सजदा सहू करने का सही तरीका*
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👉 किन गलतियों के लिए सजदा सहू किया जाए इस मामले में उलेमा की अलग अलग राय है, *इसमें बेहतर ये है कि आप को जो गलतियां लगे नमाज़ में चाहे बड़ी हो या छोटी आप सजदा सहू कर सकते हैं।*
नमाज़ के दरमियान हुई गलतियों के लिए सजदा सहू करने के दो तरीक़े हमारे रसूल अल्लाह ﷺ से साबित है
*1) सलाम फेरने से पहले सजदा सहू करना*
_👉 अबु सईद खुदरी रजि० से रिवायत है कि रसूल अल्लाह ﷺ ने फ़रमाया जब तुम में से किसी को अपनी नमाज़ में शक हो जाए (कि कितनी रकात पढ़ी) और मालूम ना हो कि तीन पढ़ी या चार, तो शक़ को दूर करे और सलाम से पहले दो सजदे (सजदा सहू) कर ले, अगर उसने पांच रकात पढ़ी है तो ये सजदे मिलकर 6 रकात हो जाएगी और अगर पूरी चार पढ़ी है तो इन दोनों सजदो से शैतान के मुंह में खाक पढ़ जाएगी।_
📚 सहीह मुस्लिम 1166
_👉 अब्दुल्ला बिन मलिक रजि० से रिवायत है कि एक बार रसूल अल्लाह ﷺ दूसरी रकात में खड़े हो गए (जिसमें बैठना चाहिए था), फिर आप ﷺ नमाज़ पढ़ते गए और जब नमाज़ तमाम हुई तो सलाम से पहले दो सजदे किए।_
📚 सहीह मुस्लिम 1165
हासिल :- *इन अहादीस से हमें ये पता चलता है कि अगर हमें नमाज़ में शक हो जाए कि हमने रकातो की गिनतियों में गलती की है या फिर गलती से नमाज़ में बैठने के बजाए खड़े हो जाए, यानी ऐसी गलतियां जिसका नमाज़ के दरमियान ही ने एहसास हो जाए कि हमसे कुछ ग़लत हुआ है तो इस तरह की इस तरह की गलतियां हो जाने पर हमें सलाम फेरने से पहले दो सजदे करने होंगे। और यही गलतियां अक्सर हमारी नमाजो में पाई जाती है। हम लोगों का ज़हन भटक जाता है और हम नमाज़ के दरमियान ही शक में पड़ जाते हैं या फिर उठने बैठने में गलतियां कर बैठते हैं। तो इन गलतियों के लिए हमें सलाम फेरने से पहले सजदा सहू करना होगा।*
*2) सलाम फेरने के बाद सजदा सहू करना*
_👉 अब्दुल्ला बिन मसूद रजि० से रिवायत है कि रसूल अल्लाह ﷺ ने ज़ोहर की पांच रकात पढ़ी जिसमें सलाम फेरा तो लोगों ने कहा कि क्या नमाज़ ज़्यादा हो गई ? आप ﷺ ने फ़रमाया कैसे ? उन्होंने कहा कि आप ने पांच रकात पढ़ ली तो फिर आप ﷺ ने दो सजदे किए।_
📚 सहीह मुस्लिम 1175
_👉 अब्दुल्ला बिन मसूद रजि० से रिवायत है कि रसूल अल्लाह ﷺ ने एक बार हमको (चार की जगह) पांच रकात पढ़ा दी, हमने अर्ज़ किया या रसूल अल्लाह ﷺ क्या नमाज़ बढ़ गई तो आप ﷺ ने फ़रमाया कैसे? हमने कहा आपने पांच रकात पढ़ा दी तो आप ﷺ ने फ़रमाया मै भी तुम्हारी तरह एक आदमी हूं, जिस तरह तुम याद रखते हो मै याद रखता हूं और जिस तरह तुम भुल जाते हो मै भी भूल जाता हूं, इसके बाद आप ﷺ ने (सजदा सहू के) दो सजदे किए।_
📚 सहीह मुस्लिम 1178
*👉 निष्कर्ष :-* इन अहादीस से हमें ये मालूम हुआ कि अगर हम *रकाते ज़्यादा पढ़ले कभी और हमें नमाज़ के बाद मालूम होता है तो हम बाद में सजदा सहू कर सकते हैं। यानी ऐसी गलती जिसका हमें नमाज़ के बाद एहसास हो तो उस गलती के लिए हमें बाद में सजदा सहू कर लेना होगा।*
*❌ जो लोग एक सलाम फेर कर सजदा सहू करते है ऐसा तरीका किसी भी सही हदीस से साबित नहीं है।*
*(हर बात दलील के साथ)*
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