*घर पे "तरावीह" कैसे पढें अगर कोई "हाफ़िज़" ना होतो.*?
*घर पे "तरावीह" कैसे पढें अगर कोई "हाफ़िज़" ना होतो.*?
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*इमाम क़ुरआन देख कर पढ़ा सकता है*
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*सलफुस सालिहीन से क़ुरआन देख कर नमाज़ पढ़ने का सुबूत*
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👉 *अम्मी आईशा र० के ग़ुलाम ज़कवान रह उनकी इमामत क़ुरआन से देख कर पढ़ते थे.*
📚(मुसंनफ़ इब्न अबी शैबा 2/337)
👉 *मशहूर ताबई इमाम इब्न सीरीन रह (पैदाइश 33 हिजरी) इसमें कोई हर्ज नहीं समझते थे कि आदमी कौम कि इमामत करे और क़िराअत क़ुरआन से देख कर करे.*
📚(मुसंनफ़ इब्न अबी शैबा 2/337)
👉 *इमाम शुअबा रह, इमाम हकम बिन उतैबा रह से उस इमाम के बारे में रिवायत करते हैं जो रमजान में क़ुरआन को हाथ में पकड़ कर क़िराअत करता है. उन्होंने जवाब दिया "इमाम हकम बिन उतैबा रह उसमे रुख्सत देते थे.* (यानी कोई हर्ज नहीं समझते थे)"
📚(मुसंनफ़ इब्न अबी शैबा 2/337)
👉 *इमाम हसन बसरी रह और इमाम इब्न सीरीन रह फ़रमाते हैं कि नमाज़ में क़ुरआन मजीद पकड़ कर क़िराअत करने में कोई हर्ज नहीं है.*
📚(मुसंनफ़ इब्न अबी शैबा 2/337)
👉 *इमाम यहया बिन सईद रह फरमाते हैं कि मैं रमजान में क़ुरआन मजीद से देख कर क़िराअत करने में कोई हर्ज नहीं समझता.*
📚(किताब अल मुसाहिफ़ इब्न अबी दावूद # 805)
👉 *मुहम्मद बिन अब्दुल्लाह बिन मुस्लिम रह बयान करते हैं कि इमाम ज़ुहरी रह से क़ुरआन मजीद से क़िराअत करके इमामत करने के बारे में पूछा गया तो आप रह ने फ़रमाया "इस्लाम के शुरू से ले कर हर दौर में मुसलमान ऐसा करते आये हैं.*
📚(किताब अल मुसाहिफ़ इब्न अबी दावूद # 806)
👉 *इमाम मालिक रह से ऐसे इंसान के बारे में सवाल हुआ जो रमजान मुबारक में क़ुरआन को हाथ में पकड़ कर इमामत कराता हो. उन्होंने जवाब दिया कि मजबूरी हो तो ऐसा करने में कोई हर्ज नहीं है.*
📚(किताब अल मुसाहिफ़ इब्न अबी दावूद # 808)
( *हर बात दलील के साथ*)
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