*नमाज़ में "सुस्ती" करना मुनाफ़िक़ की पहचान है।*
*नमाज़ में "सुस्ती" करना मुनाफ़िक़ की पहचान है।*
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👉 अल क़ुरान: *मुनाफ़िक़* अल्लाह को फरेब देने की कोशिश करते हैं मगर वो (अल्लाह) उनको ही फरेब देता है , और जब वो नमाज़ में खड़े होते हैं तो *सुस्त बनकर* खड़े होते हैं , लोगों को दिखाते हैं और अल्लाह को बहुत कम याद करते हैं
📚 [सुरह अन-निसा:आयत 142]
👉 तो ऐसे नमाज़ियो की खराबी है जो नमाज़ की तरफ से गाफ़िल रहते हैं (यानी देर से नमाज़ पढ़ते हैं), जो दिखावा करते हैं
📚सुरह अल-माऊन (107) आयत 4-6
( *हर बात दलील के साथ)*
📱 *Forward ज़रूर करे(अल्लाह अज्र देगा)*
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