रमज़ान से मुताल्लिक़ एक मशहूर रिवायत के जायज़ क्या सही क्या गलत
रमज़ान से मुताल्लिक़ एक मशहूर रिवायत के जायज़ क्या सही क्या गलत
----------------------------------------------------
रमज़ान के महीने में नफ़्ल का सवाब फ़र्ज़ कर बराबर और एक फ़र्ज़ का सवाब दूसरे महीनों के 70 फ्राइज़ के बराबर है.इसका पहला अशरे (10 दिन) रहमत दूसरा मग़फ़िरत और तीसरा जहन्नम से आज़ादी का (एक लंबी रिवायत का मफहोम)
Details : Ye riwayat Saheeh Ibn Khuzaima H#.1887, Targheeb wa Tarheeb (al-Mundhiri 2/95), Shu’ab al-Eemaan (7/216) me maujood hai.
ईमाम इब्न खुजाइम (RH) ने हदीस पर chapter का नाम रखा है अगर या खबर सहीह है तो रमज़ान के फ़ज़ीलत का बयान यानी खुद इमाम इब्न खुजाइम भी इसको मोतबर नही मानते थे
इसके अलावा इसमें 2 प्रोब्लेम्स है
1) ये रिवायत सईद बिन मुसैय्यिब (Rh) एक सहाबी सलमान फ़ारसी (RA) से बयान करते हैम लेकिन इनकी मुलाक़ात सलमान फ़ारसी (RA) से साबित नही है.
2) इसमे एक रवि अली इन् ज़ैद इब्न जडें मोतबर नही है.
🔴इमाम अहमद इब्न मइँ,नसाई इब्न खिज़िम ने इसको दीफ़ (weak) डिक्लेअर किया है
(Siyar A’laam al-Nubala’, 5/207)
🔴अल्लामा ऐनी (RH) ने इस हदीस को मुकर (Rejected)
(Umdat al-Qaari, 9/20)
🔴अल्बानी (RH) ने भी मुकर (Silsila Ahadeeth Ad Daeefa 2/262. no. 871)
अगर बिल फ़र्ज़ इस रिवायत को सहीह मैन भी लिया जाए तो फिर के सवाल खड़े होते है .
🔸क्या दूसरा और तीसरा अशरे रहमत का नही है ?
या क्या कोई बाँदा अपनी मग़फ़िरत पहले और तीसरे अशरे में नही करवा पायेगा?
इसके अलावा सहीह हदीस से हमे उलूम होता है कि रमज़ान की पहली रात से है जहन्नम के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं जन्नत के दरवाजे खोल दिये जाते हैं और हर रात अल्लाह अपने बंदकको जहन्नम से आज़ाद करता है
(Tirmizi h# 682)
इसी तरह अमल के सवाब के बारे में सहीह हदीस से पता चलता है कि हमारे हर अमल का सवाब आम दिनों में भी 10 से 700 गुना तक बढ़ा दिया जाता है
(Muslim h# 1151)
👉Conclusion: इमाम मुस्लिम (RH) ने अपनी सहीह के मुक़द्दमे में लिखा है सहीह अहादीस हमारे पास इतनी ज्यादा है कि हमे दीफ़ अहदीस की ज़रूरत है नहीं। यही बात इस इशू पर भी फिट होती है। बल्कि यह मामले उल्टा है । इस मामले में तो दीफ़ अहादीस से कही ज़्यादा फजायल सहीह अहादीस से मिलता है
----------------------------------------------------
रमज़ान के महीने में नफ़्ल का सवाब फ़र्ज़ कर बराबर और एक फ़र्ज़ का सवाब दूसरे महीनों के 70 फ्राइज़ के बराबर है.इसका पहला अशरे (10 दिन) रहमत दूसरा मग़फ़िरत और तीसरा जहन्नम से आज़ादी का (एक लंबी रिवायत का मफहोम)
Details : Ye riwayat Saheeh Ibn Khuzaima H#.1887, Targheeb wa Tarheeb (al-Mundhiri 2/95), Shu’ab al-Eemaan (7/216) me maujood hai.
ईमाम इब्न खुजाइम (RH) ने हदीस पर chapter का नाम रखा है अगर या खबर सहीह है तो रमज़ान के फ़ज़ीलत का बयान यानी खुद इमाम इब्न खुजाइम भी इसको मोतबर नही मानते थे
इसके अलावा इसमें 2 प्रोब्लेम्स है
1) ये रिवायत सईद बिन मुसैय्यिब (Rh) एक सहाबी सलमान फ़ारसी (RA) से बयान करते हैम लेकिन इनकी मुलाक़ात सलमान फ़ारसी (RA) से साबित नही है.
2) इसमे एक रवि अली इन् ज़ैद इब्न जडें मोतबर नही है.
🔴इमाम अहमद इब्न मइँ,नसाई इब्न खिज़िम ने इसको दीफ़ (weak) डिक्लेअर किया है
(Siyar A’laam al-Nubala’, 5/207)
🔴अल्लामा ऐनी (RH) ने इस हदीस को मुकर (Rejected)
(Umdat al-Qaari, 9/20)
🔴अल्बानी (RH) ने भी मुकर (Silsila Ahadeeth Ad Daeefa 2/262. no. 871)
अगर बिल फ़र्ज़ इस रिवायत को सहीह मैन भी लिया जाए तो फिर के सवाल खड़े होते है .
🔸क्या दूसरा और तीसरा अशरे रहमत का नही है ?
या क्या कोई बाँदा अपनी मग़फ़िरत पहले और तीसरे अशरे में नही करवा पायेगा?
इसके अलावा सहीह हदीस से हमे उलूम होता है कि रमज़ान की पहली रात से है जहन्नम के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं जन्नत के दरवाजे खोल दिये जाते हैं और हर रात अल्लाह अपने बंदकको जहन्नम से आज़ाद करता है
(Tirmizi h# 682)
इसी तरह अमल के सवाब के बारे में सहीह हदीस से पता चलता है कि हमारे हर अमल का सवाब आम दिनों में भी 10 से 700 गुना तक बढ़ा दिया जाता है
(Muslim h# 1151)
👉Conclusion: इमाम मुस्लिम (RH) ने अपनी सहीह के मुक़द्दमे में लिखा है सहीह अहादीस हमारे पास इतनी ज्यादा है कि हमे दीफ़ अहदीस की ज़रूरत है नहीं। यही बात इस इशू पर भी फिट होती है। बल्कि यह मामले उल्टा है । इस मामले में तो दीफ़ अहादीस से कही ज़्यादा फजायल सहीह अहादीस से मिलता है
Comments
Post a Comment