उम्मत में इख़्तिलाफ़ अल्लाह की रहमत है ” क्या ये बात रसूलुल्लाह ﷺ से साबित है।?

उम्मत में इख़्तिलाफ़ अल्लाह की रहमत है ” क्या ये बात रसूलुल्लाह ﷺ से साबित है।?
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जवाब- 👇👇👇👇
  पहली बात तो यह कि यह एक झूठी और गढ़ी हुई हदीस है जिसको रसूलुल्लाह की तरह मंसूब करना बहुत बड़ा गुनाह है.

👉इसके अलावा यह क़ुरआन और हदीस की बुनियादी तालीम के ख़िलाफ़ है. 👇👇
👉 अल्लाह और उसके रसूल ﷺ ने कई मौकों पर इख़्तिलाफ़ से बचने को कहा है.

👉क्योंकि इख़्तिलाफ़ जितना ज़्यादा होगा उम्मत का एक जुट हो पाना उतना ही मुश्किल होगा, और इख़्तिलाफ़ से बचने के लिए अल्लाह ने कहा कि “ 👇👇
 तुम में किसी भी बात को लेकर इख़्तिलाफ़ हो जाये तो तुम अल्लाह और उसके रसूल ﷺ की तरफ़ लौट आओ.
📚 (क़ुरआन 4:59)

👉तो अगर इख़्तिलाफ़ अल्लाह की रहमत होता तो ऐसी हालत में अल्लाह और उसके रसूल ﷺ की तरफ लौटने को क्यों कहा जाता?

🤔 बल्कि यही कहा जाता कि और ज़्यादा इख़्तिलाफ़ करो क्योंकि यह अल्लाह की रहमत है.

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