शब ए बारात [15 shaban] को इबादत करना कैसे है?

शब ए बारात [15 shaban] को इबादत करना कैसे है?
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👉 *शब ए बारात की रात को इबादत करने का सही सुबूत न तो खुद रसूलुल्लाह ﷺ से मिलता है और न ही सहाबा (Ra) से और न ही इस दिन में कोई पकवान पकाने के सुबूत मिलता है
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👉कुछ लोग कहते हैं शब ए बारात में हम अल्लाह ही कि इबादत करते हैं जैसे नमाज़ पढ़ते है और क़ुरआन पाक की तिलावत करते है तो  क्या ये भी गलत है????
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*Ans* :- अल्लाह के पास किसी भी अमल के क़ुबूल होने की 3 शर्त (condition) है

👉1):- शरीयत में इस अमल को करने का हुक्म हो

👉2):- *वो अमल खालिस नियत यानी सिर्फ अल्लाह के लिए किया गया हो
📚(Reyazus saleheen)

👉3):- *वो  अमल रसूलुल्लाह ﷺ के बताए हुए तरीके पर हो
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▶ *1 सवाल और पैदा होता है कि जिस इबादत को साहब ने नही किया तो हम क्यों करे क्या हम उनसे ज्यादा अच्छा दिन को जानते और  समझते हैं
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👉 *अगर इस रात की इतनी अहमियत होती तो अल्लाह के रसूल ज़रूर इस रात को मनाने का हुक्म देते

👉 *कोई भी अमल अगर सुन्नते के मुताबिक न हो तो वो अल्लाह के यह क़ाबिल ए क़ुबूल नही, चाहें वो कितना ही बारे अमाल क्यों न हो

▶ *अगर हम 4 रिकात फ़र्ज़ नमाज़ की जगह 5 रिकात पढ़ते है , नमाज़ में 2 सजदे की जगह 3 सजदे करते है, तो ये सोच कर के ज़्यादा करने से ज़्यादा सवाब होगा तो क्या कुबील हो जाएगी ?
*बिल्कु नही * क्यों कि ये शरीयत के तरीके पर नही हौ ठीक इसीतरह हर अमल से पहले हमारा ये फ़राज़ हैं के हुम् इल्म हासिल कर के हमारा यर अमल क़ुरआन और हदीस के मुताबिक है या नही
👉 *इस रात को इबादत करना इसलाम में 1 नई चीज ईजाद करना है जिसके बारे में या कहा गया है कि इस्लाम मे हर नई चीज बिदअत हैं
📚 *[Sahih al bukhari:2697]*

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