*Kya sach me Sahaba (ra) me Ekhtalaf tha?* ๐๐ -------------------------------------- *Jo log kahte hain ki Ekhtalaf to Sahaba (Ra) me bhi tha to ham me hai to kya hua.* *Unko Es hadees pe dhayan dena chahiye.*๐
*Kya sach me Sahaba (ra) me Ekhtalaf tha?* 👇👇
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*Jo log kahte hain ki Ekhtalaf to Sahaba (Ra) me bhi tha to ham me hai to kya hua.*
*Unko Es hadees pe dhayan dena chahiye.*👇
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*एखतलाफ़ी मसाइल में भी सहाबा (रहज़o) ने हदीस का दामन नही छोड़ा*👇👇
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👉एक मययत की नानी अबू बक्र (रज़िo) के पास वरासत में हक़ माांगने आयी.अबू बक्र (रज़िo) ने फ़रमाया ‘अल्लाह की कताब में तेरा कोई हस्सा नहीं है और नबीﷺ की सुन्नत से मुझे (इस बारे में) कुछ मालूम नहीं. तुम जाओ मैं लोगों से पूछ कर बताउांगा. बाद में मुग़ीरा कबन शुअबा (रज़िo) और मुहम्मद इब्न मसलमा (रज़िo) ने बताया के उन लोगों ने रसूलुल्लाह ﷺ को ऐसे मामले में छठा हिस्सा देते हुए देखा था. तब अबू बक्र (रज़िo) ने भी उस औरत को छठा हिस्सा दिलाया।
📚(अबू दाऊद ह० 2894)
👉सययदना उमर (रज़िo) मजूकसयों (पारकसयों) से जज़्या नहीं लेते थे क्योंक क़ुरआन में जज़्या वसूलने का ज़क्र अहले कताब के कलए है.
लेकन जब अब्दुरफ़हमान इब्न औफ़ (रज़िo) ने गवाही दी के रसूलुल्लाह ﷺने हजर के मजूसयों से जज़्या लया था तो उमर (रज़िo) ने भी लेना शुर कर दिया।
📚(बुख़ारी ह० 3156, 3157)
👉सईद इब्न मुसकययब (रह०) फ़रमाते हैं के उमर (रज़िo) फ़रमाया करते थे के दयत (ख़ून बहा) सफ़फ़ बाप की तरफ़ के ररश्तेदारों के के लिए है, यहााँ तक के ज़हाक इब्न सुफ़यान (रज़िo) ने उनसे कहा के ‘रसूलुल्लाह ﷺ ने मेरी तरफ़ पैग़ाम लिख कर भेजवाया था के फ़लाां की बीवी को उसके शौहर की ददायत में हिस्सा दिलाओ ’ फिर उमर (रज़िo) ने अपनी राय से रुजू कर लिया।
📚(अबू दाऊद ह० 2927, हतरहिज़ी ह० 2110, इब्न िाजा ह० 2642)
👉 सययदना अली (रज़िo) के पास चन्द मुरतद लाए गए तो आपने उन्हें जलाने का हुक्म दिया. अब्दुल्लाह इब्न अब्बास (रज़िo) ने हदीस पेश की के रसूलुल्लाह ﷺने फ़रमाया था के ‚किसी को आग का अज़ाब न दो.‛ अली (रज़िo) ने सुनकर कहा के ‘ इब्न अब्बास सच कहते हैं.’
📚(हतरहिज़ी ह० 1458)
👉उमर (रज़िo) एक बार अपने क़ाफ़ले के साथ शाम (सीररया,जॉडफ़न वगैरह) की तरफ निकले और रास्ते में ख़बर मिली के वहाां वबा (प्लेग) फैल गई है तो उन्होंने वहाां न जाने का फ़ैसला लिया। लेकिन बाक़ी के लोगों में इकख़्तलाफ़ हो गया के जाएां या न जाएां . इस पर
उमर (रज़िo) ने मीटिंग बुलाई ताके मालूम कर सकें की इस बारे में कोई हदीस है या नहीं. अब्दुरफ़हमान इब्न औफ़ (रज़िo) ने हदीस बयान की के नबी ﷺ फ़रमाते थे के‚ जब तुम सुनो के किसी मुल्क में वबा फैल गई है तो वहाां मत जाओ और जब तुम्हारे मुल्क में वबा फैल जाएतो भागो भी नहीं.‛ इस पर सबने इकख़्तलाफ़ छोड़ दिया और उमर(रज़िo) ने अल्लाह का शुक्र अदा किया (के उनकी राय हदीस के मुआफ़क़ निकली)
📚(बुख़ारी ह० 5729)
👉मवाफ़न इब्न हाकिम ने बयान किया के उस्मान (रज़िo) हज्ज-ए-तमत्तो (हज्जऔर उमरह के साथ करने) से मना करते थे. लेककन अली (रज़िo) ने इसके बावजूद हज्ज-ए-तमत्तो का इहराम बाांधा और फ़रमाया के‘ मैं किसी एक शख़्स की बात पर रसूलुल्लाह ﷺकी हदीस को नहीं छोड़ सकता.’
📚(बुख़ारी ह० 1563, 1569)
👉 *सहाबा कराम (रहज़o) हदीस से दलील माांगते थे.*
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• सकययदना उमर (रज़िo) ने अबू मूसा अशअ़री (रज़िo) को बुला भेजा, जब वह इनके दरवाज़े पर आए, तीन बार सलाम किया और जवाब न मिलने पर वापस चले गए. उमर (रज़िo) ने पूछा के वह वापस क्यों जा रहे थे ? उन्होंने कहा के रसूलुल्लाहﷺने फ़रमाया था के ‚जब तुममें से कोई तीन बार इजाज़त माांगे और न मील तो वापस चला जाए.‛ इस पर उमर (रज़िo) ने फ़रमाया ‘इस पर दलील पेश करो वरना मैं तुझे कोड़े लगाउांगा.’ तब अबू मूसा अशअरी (रज़िo) ने अबू सईद (रज़िo) के ज़ररये इस हदीस की तस्दीक़ करवायी.
📚(बुख़ारी ह० 6245)
👉अब्दुल्लाह इब्न मसऊद (रज़िo) से उम्मे याक़ू बने दलील माांगी के मैंने तो सारा क़ुरआन पढ़ा है, मुझे इसमें यह बात नहीं मिली जिसके मुताल्लिक़ आप कहते हैं के अल्लाह ने फलाां फलाां औरत पर लानत की है.
📚(बुख़ारी ह० 4886)
▶ *Khamosh Mizaji Tumhe Jeene Nahi Degi.*
*Is Daur Mein Jeena Hai To ISLAM Batado.*
By: Beneficial ilm centre *(Delhi)*
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