बरेलवी उलेमा सू के कुरआन शरीफ पर झुठे दावों का पर्दाफाश*
*बरेलवी उलेमा सू के कुरआन शरीफ पर झुठे दावों का पर्दाफाश*
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◾किस्त-1⃣
बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम
कुछ दिनों से वाट्सप पर एक मैसेज अहले बिद्अत ने फैला रखा है उसमें उन्होंने अपने खोखले दावे लिखे है और दलील के तौर पर कुरआन शरीफ की बहुत सारी आयतों का नंबर लिखा है। डर की इंतहा देखिए कि दलील में तर्जुमा बिलकुल नहीं लिखा सिर्फ सूरह का नाम और आयत नंबर लिख दिया। उलेमा सू क्या समझते है सिर्फ पारा नंबर सुरह का नाम और आयत नंबर लिख देने से कोई भी तुम्हारे चक्कर में फंस जायेगा भूल जाओ अब वो जमाना नहीं है अब सोशल मिडीया का जमाना है।नेट पर तकरीबन हर भाषा में कुरआन शरीफ तर्जुमें के साथ मौजूद है हर मुसलमान कुरआन शरीफ को तर्जुमें से पढ़ रहा है अब तुम्हारी दाल गलने वाली नहीं है।
फिर भी हमारे कुछ बरेलवी भाई लाइल्मी की वजह से इस मैसेज को बार बार वाट्सप पर भेजते रहते है तो मेने सोचा क्यों न इसका पर्दाफाश कर दिया जाये ताकि उनकी इस्लाह हो सके।
अहले बिद्अत का लिखा हुआ वो मैसेज इतना लंबा है कि उसको पुरा एक साथ कोपी करके उसका जवाब लिखना मुम्किन नहीं है लिहाजा मैं उनके एक एक दावे का पर्दाफाश तर्जुमा कंजूल ईमान से करूँगा।
तर्जुमा कंजुल ईमान में कुछ जगह तहरीफ और नबीﷺ की शान में गुश्ताखिया होने के बावजूद मेने उनके दावों की दलील का तर्जुमा उन्हीं की कंजुल ईमान से लिखा है ताकि उलेमा सू के पास तर्जुमे को लेकर कोई एतराज बाकी न रहे।
मैसेज इस तरह है👇
वहाबियों के तमाम ऐतराज के जवाबात क़ुर्आन शरीफ से
*हुज़ूर सल्लललाहु तआला अलैहि वसल्लम की शान क़ुर्आन में*
*आप सभी एक बार पढ़ना ज़रूर क्योंकि दावा और दलील सब मौजूद है।```*
*_1 मीलाद शरीफ़ मनाना सुन्नते ख़ुदावन्दी है_*
📕 पारा 10-11,सूरह तौबा,आयत 33,128
📕 पारा 6,सूरह मायदा,आयत 15
📕 पारा 3-4,सूरह आले इमरान,आयत 81,82,103,164
📕 पारा 28,सूरह जुमा,आयत 2
📕 पारा 28,सूरह सफ़,आयत 6
📕 पारा 30,सूरह वद्दोहा,आयत 11
📕 पारा 13,सूरह इब्राहीम,आयत 5
*अल जवाब*
*जैसा कि सभी जानते है कि अहले बिद्अत बरेलवी उलेमा सू के यहाँ नबी (ﷺ) के जन्मदिन को मिलाद के रूप में मनाते है जिसमें जुलूस वगैरह निकले जाते है।अब इनका कहना है कि ये तरीका अल्लाह का है यानि सुन्नते खुदावन्दी है चलिए इसकी दलील में दी हुई आयतों का तर्जुमा कंजुल ईमान में देखते है। यहाँ पहले पारा नं सुरह नं और आयत नं लिखा है उसके बाद तर्जुमा लिखा है*👇
📕 *पारा 10-11सुरह तौबा आयत 33,128*
तर्जुमा-कंजुल ईमान से👇
आयत-33
"वहीं है जिस ने अपना रसूल हिदायत और सच्चे दीन के साथ भेजा के उसे सब दीनों पर गालिब करे पड़े बुरा माने मुशरीक"
आयत-128
तर्जुमा-कंजुल ईमान से👇
"बेशक तुम्हारे पास तशरीफ लाए तुम में से वो रसूल जिन पर तुम्हारा मशक्कत मे पड़ना गिरां है तुम्हारी भलाई के निहायत चाहने वाले मुसलमानों पर कमाल मेहरबान मेहरबान"
*नोट-मेरे भाईयो क्या इन दोनों आयतों में कही भी लिखा है या इशारा मिल रहा है कि अल्लाह भी मिलाद मनाता है*
📕 *पारा-6 सुरह मायदा आयत-15*
तर्जुमा कंजुल ईमान से👇
"ऐ ईमान वालो,बेशक तुम्हारे पास हमारा ये रसूल तशरीफ लाये के तुम पर जाहिर फरमाते है बहुत सी वो चीजें जो तुम ने किताब में छिपा डाली थी और बहुत सी माफ फरमाते हैं बेशक तुम्हारे पास अल्लाह की तरफ से एक नूर आया और रौशन किताब"
*नोट- इस आयत को अक्सर बरेलवी उल्मा सू नबी (ﷺ)को नूर साबित करने के लिए देते है लेकिन जेहालत का आलम देखिए कि इसी आयत को उठाकर मिलाद पर भी पेश कर दिया*
📕 *पारा 3-4 सूरह आले इमरान आयत 81,82,103,164*
तर्जुमा कंजुल ईमान से👇
आयत 81और 82
"और याद करो जब अल्लाह ने पैगम्बरों से उनका अहद लिया जो मैं तुम को किताब और हिकमत दूँ फिर तशरीफ लाये तुम्हारे पास वो रसूल के तुम्हारी किताबों की तस्दीक फरमाये तो तुम जरूर जरूर उस पर ईमान लाना और जरूर जरूर उस की मदद करना,फरमाया क्यों तुमने इकरार किया और उस पर मेरा भारी जिम्मा लिया? सबने अर्ज की हमने इकरार किया,तो फरमाया एक दूसरे पर गवाह हो जाओ,और मैं आप तुम्हारे साथ गवाहो मे हूँ। जो कोई उसके बाद फिरे तो वही लोग फासिक है।"
आयत 103
"और अल्लाह की रस्सी मजबूत थाम लो सब मिल कर और आपस में बँट न जाना(फिरको मे न बँट जाना)और अल्लाह का एहसान अपने उपर याद करो जब तुम में बैर था उसने तुम्हारे दिलों मे मिलाप कर दिया तो उसके फज्ल से तुम आपस में भाई हो गये और तुम एक गार दोजख के किनारे पर थे तो उसने तुम्हें उस से बचा दिया।अल्लाह तुम से यु ही अपनी आयते बयान फरमाता है के कहीं तुम हिदायत पाओ।"
आयत 164
"बेशक अल्लाह का बड़ा एहसान हुआ मुसलमानों पर कि उन में उन्हीं मे से एक रसूल भेजा जो उन पर उसकी आयते पढ़ता है और उन्हें पाक करता है और उन्हें किताब और हिकमत सिखाता है और वो जरूर उससे पहले खुली गुमराही में थे।"
*नोट-क्या इन चारों आयतों में कहीं से भी मिलाद मनाने का पता चल रहा है?*
📕 *पारा 28 सूरह जुमा आयत 2*
तर्जुमा कंजुल ईमान से👇
"वहीं है जिसने *अनपढ़ो* में उन्हीं मे से एक रसूल भेजा के उन पर उसकी आयते पढ़ते है और उन्हें पाक करते है और उन्हें किताब और हिकमत का इल्म अता फरमाते है और बेशक वो उससे पहले जरूर खुली गुमराही में थे।"
*नोट-इस आयत में मिलाद मनाना तो साबित नहीं हुआ अलबत्ता इनके आला हजरत की नबी की शान में गुश्ताखी जरूर सामने आ गई।भाइयों आप खुद देखे अहमद रजा ने नबी ﷺ के लिए अनपढ़ लफ्ज इस्तेमाल किया है।दावा तो आलिमुलगैब का करते है और खुद अनपढ़ कहते है ये है इनका बहरूपी चेहरा*
📕 *पारा 28 सूरह सफ आयत 6*
तर्जुमा कंजुल ईमान से👇
"और याद करो जब ईसा बिन मरयम ने कहा ऐ बनी इस्राईल मैं तुम्हारी तरफ अल्लाह का रसूल हूँ अपने से पहली किताब तौरेत की तस्दीक करता हूँ और उन रसूल की बशारत सुनाता हूँ जो मेरे बाद तशरीफ लायेगें उन का नाम अहमद है फिर जब अहमद उनके पास रौशन निशानीयाँ लेकर तशरीफ लाये बोले ये खुला जादू।"
*नोट-क्या इस आयत में कहीं भी हजरत ईसा अलेहीस्सलाम ने मिलाद मनाने को कहा है या खुद मनाई है?*
📕 *पारा 30 सूरह वद्दुहा आयत 11*
तर्जुमा कंजुल ईमान से👇
"और अपने रब की नेमत का खूब चर्चा करो।"
*नोट- क्या बरेलवीयो के नजदीक अल्लाह की नेमत का चर्चा मिलाद और जुलूस निकालकर किया जाता है? अगर हाँ तो फिर इसका मतलब नआजूबिल्लाह सहाबा किराम ताअबईन,तबेताअबईन,औलिया किराम में से किसी ने भी अल्लाह की नेमत का चर्चा नहीं किया।*
📕 *पारा 13 सूरह इब्राहीम आयत 5*
तर्जुमा कंजुल ईमान से👇
"और बेशक हमने मूसा को अपनी निशानीयाँ देकर भेजा के अपनी कौम को अंधेरीयो से उजाले में ला और उन्हें अल्लाह के दिन याद दिला बेशक उन में निशानीयाँ है हर बड़े सब्रे शुक्र गुजार करो।"
*अब बताइए मेरे भाईयो क्या इनकी दलील वाली आयतों में कहीं भी सराहतन या इशारतन ये मालूम चलता है कि अल्लाह मिलाद मनाता है(नआऊजूबिल्लाह) इनका जो दावा था कि मिलाद मनाना सुन्नते खुदावन्दी है कि पोल खुल कर सामने आ गई। अपनी मिलाद को साबित करने के लिए इन उलेमा सू ने तो अल्लाह पर ही झूठ बाँध दिया। थोड़ा भी इनके दिल में अल्लाह का खौफ नहीं आया। इन्हीं लोगों के लिए कुरआन मे पहले ही फरमाया दिया*
*"देखो यह लोग अल्लाह तआला पर किस तरह झूठ बाँधते है और ये(हरकत) सरीह गुनाह होने के लिए काफी है।"*
📗 *सुरह निसा आयत-50*
अल्लाह से दुआ है कि हमारे बरेलवी भाईयो को और हम सबको बरेलवी उलेमा सू के फित्नों से हिफाजत फरमाये
आमीन
अगली किस्त में उलेमा सू के एक और दावा कि *तमाम अंबिया किराम अपनी कब्रों में जिन्दा है* की दलीलो का पर्दाफाश करके कुरआनो सुन्नत से साबित सही अकीदा को सामने रखने की कोशिश की जाएगी इंशा अल्लाह।
माशा अल्लाहः बहुत उम्दा पोस्ट तफ़सीर के साथ।
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