!!! हमारी-दावत !!!
!!! हमारी-दावत !!!
रसूल ही की वो हस्ती हैं जिस का तरीका तमाम मुसलमानो के लिये ज़ाब्ता हयात हैं, यही वो नमूना हैं जिस के मुताबिक बन कर लोग अल्लाह से कोई उम्मीद कर सकते हैं।
इरशाद बारी तआला हैं:
"यकीनन तुम्हारे लिये रसूल की ज़िन्दगी मे बेहतरीन नमूना है इस शख्स के लिये जो अल्लाह और कयामत पर यकीन रखता हैं और कसरत से अल्लाह को याद रखता हैं।"
(33-21)
हज़रात मुहम्मद सल्ल0 ने उम्मत को जिस बात का हुक्म दिया है या जिसे ख़ुद किया है या जिसे करने की अनुमति दी हैं, उसे ठीक उसी तरह कीजिए और जिस बात से आप सल्ल0 ने मना फ़रमाया है उससे रुक जाइए ।
इरशाद बारी तआला है:
"जो कुछ रसूल तुम्हें दे वह ले लो और जिस चीज़ से मना करे उससे रुक जाओ।"
(59-7)
हज़रात मुहम्मद सल्ल0 ने दिन के मामले में जो काम सारे पवित्र जीवन में नहीं किया वह काम अपनी मर्ज़ी से करके अल्लाह के रसूल सल्ल0 से आगे बढ़ने की हिम्मत न कीजिये।
इरशाद बारी तआला है:
"ऐ लोगो, जो ईमान लाए हो! अल्लाह और उसके रसूल से आगे न बढ़ो।"
(49-1)
हज़रात मुहम्मद सल्ल0 के आज्ञा पालन और अनुसरण के मुक़ाबले में किसी दूसरे का आज्ञा पालन और अनुसरण करके अपने कर्म बर्बाद न कीजिए।
इरशाद बारी तआला हैं:
"ऐ लोगो, जो ईमान लाए हो ! अल्लाह का आज्ञा पालन करो, रसूल का आज्ञा पालन करो ( और किसी दूसरे का आज्ञा पालन करके ) अपने कर्म बर्बाद न करो।"
(47-33)
रसूल ही कि वो ज़ात हैं जिसकी इताअत न करने से रोज़े हशर इन्सान अज़ाब ए इलाही मे मुबतिला होगा और अपनी गलती पर नदामत होगा।
इरशाद बारी तआला हैं:
"और इस दिन ज़ालिम शख्स अपने हाथो को चबा-चबा कर कहेगा के हाय अफ़सोस काश मैंने रसूल की राह इख्तयार की होती।"
( 25-27)
अल्लाह हमें क़ुरान ओ सुन्नत के मुताबिक़ दिने इस्लाम की दावत को आम करने की तौफीक दे ।।
और फ़िरक़ा और गुमराही से बचाये अल्लाह हमें सुन्नते रसूल सल्ल0 के बताये तरीक़े पे चलने की तौफ़िक अता करे और हम सब को सिर्फ एक मुसलमान उम्मती मुहम्मदी बन्ने की तौफ़िक दे।।आमीन।।
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