*क्या यह मिलाद है?*
*क्या यह मिलाद है?*
मिलाद के मायने होते है जन्म और मिलादुन्नबी का मतलब होता है नबी सल्ललल्लाहो अलेहीवसल्लम का जन्मदिन
अगर कोई मुहद्दीस अपनी किताब में नबी सल्ललल्लाहो अलेहीवसल्लम के जन्म के बारे में कुछ बयान करता है या आप सल्ल की सीरत या अख्लाक या हालत बयान करता है तो बरेलवी उलेमा सू उसको मिलाद मनाना समझ लेते है🤔 और फिर उसी हदीस से अपने तरीके से मनाई जाने वाली मिलाद जिसमें शिर्कया नातो वाली महफिल, जुलूस,झंडे,डीजे,ढोल-तमाशे वगैरह होते है उसकी दलील पकड़ते है🤭
कुरआन और हदीस मे तो हजरत इब्राहीम अलेहीस्सलाम के भी हालत बयान हुए है तो क्या उसको हजरत इब्राहीम अलेहिस्सलाम की मिलाद समझकर साल में एक बार मिलाद मनानी चाहिए??
इसी तरह कुरआन और हदीस में जिन नबीयो का जिक्र हुआ है तो क्या उसको उन नबीयो की मिलाद समझकर साल में एक बार हर नबीयो की मिलाद मनाना शुरू कर देना चाहिए??
भाईयो अगर कोई ऐसी महफिल जिसमें नबी सल्ललल्लाहो अलेहीवसल्लम की सीरत,अख्लाक,और तालिमात को सिर्फ कुरआन और सहीह हदीसो की रौशनी में बयान की जाती है तो ऐसी महफिले सजाना बिल्कुल जायज है और इस तरह की महफिले,बगैर कोई दिन फिक्स किये,पुरे साल में जब मौका मिले करवाना चाहिए। इसमें कोई इख्तेलाफ नहीं बल्कि हर मक्तबे फिक्र में इस तरह की महफिले होती है।
लेकिन बरेलवी लोग जो साल में एक दिन 12 रब्बीऊल अव्वल को त्यौहार की शक्ल में मनाते है जिसको ईद ए मिलाद,जश्ने विलादत,मिलादुन्नबी और न जाने क्या-क्या नाम दिया जाता है। इसमें ऐसी महफिले सजाई जाती है जिसमें नबी सल्ललल्लाहो अलेहीवसल्लम की जात में गुलू करते हुए शिर्कीया अकीदे और झूठी हदीसे बयान करने के साथ साथ मुखालिफीन पर गुश्ताखे रसूल और काफिर का फतवा ठोका जाता है और इस दिन गैर मुस्लिमों की तरह जुलूस निकालते है और भी बहुत सी खुराफाते होती है।
ये सब शरीयत में कहीं से भी साबित नहीं है बल्कि दीन में नई इजादकर्दा चीजें है जिसको हम बिद्अत कहते है। हालाँकि कुछ एक संजीदा किस्म के बरेलवी उलेमा जुलूस और दिगर खुराफातो से मना भी करते है लेकिन 12 रब्बीऊल अव्वल के दिन अवाम के सामने उनकी जुबानें भी खामोश रहती है😷
अल्लाह तआला बरेलवी भाइयों और तमाम मुसलमानों को गैर शरई खुराफातो से बचाये और नबी करीम सल्ललल्लाहो अलेहीवसल्लम से सच्ची मुहब्बत का हक अदा करने वाला बनाये।
आमीन
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